The Ultimate Guide To bhairav kavach
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महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।
ॐ सहस्रारे महाचक्र कर्पूर धवले गुरुः
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
यस्य विज्ञानमात्रेण मन्त्रसिद्धिर्न संशयः ॥ २७॥
गणराट् पातु जिह्वायामष्टाभिः शक्तिभिः सह ॥ १४॥
जानू च घुर्घुरारावो जङ्घे रक्षतु रक्तपः
इह लोके महारोगी दारिद्र्येणातिपीडितः ॥ २९॥
देवेशि देहरक्षार्थ कारणं कथ्यतां ध्रुवम्।।
ಜಾನೂ ಚ ಘುರ್ಘುರಾರಾವೋ ಜಂಘೇ ರಕ್ಷತು ರಕ್ತಪಃ
वेदादिबीजमादाय भगमान् तदनन्तरम् ॥ १७॥
आसिताङ्गः शिरः पातु ललाटं रुरुभैरवः ॥ १६॥
संहारभैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः
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